शनिवार, अगस्त 15, 2009


दिल्ली के स्कूलों में 13 अगस्त को मनाया गया स्वतंत्रता दिवस .....



स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्रता दिवस मनाने को लेकर मेरे मन पर एक अलग ही छाप है। अगर बात करुं बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश कि तो यहां स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही मनाया जाता है। उसी तरह 26 जनवरी को ही गणतंत्रता दिवस मनाया जाता है। मुझे अब भी याद है कि इस पावन पर्व पर हम लड़को की टोली भोर में ही उठकर जंगल में फूल तोड़ने के लिए जाती थी ।स्कूल का प्रांगन एक दिन पहले ही गोरकी माटी और गोबर से लिप-पोत दिया जाता था । इस दिन को मनाने को लेकर हम बच्चों में एक अलग ही ज़ज्बा होता था। तिरंगा बनाने के लिए दूकान से उजला ताव( ए फोर कागज़) ले कर आते थे। साथ ही गुमटी से चुना भी लाते थे। जब घर में तरकारी के लिए मसाला पिसा जाता था तो उसमें से हल्दी ले लेते थे और चुना के साथ मिलाकर केसरिया रंग बनाते थे। इसी तरह हरा रंग के लिए सीम के पत्तों (बिन्स के पत्ते) को मसल कर हरा रंग निकालते थे और उसी रंग को तिरंगा में हरा रंग देते थे। झंडे में चक्र बनाने के लिए ढिबरी ( मिट्टी तेल का दिया) में लगा काला पदार्थ ही काम आता था। झंडे के लिए डंडे के रुप में सरकंडे का ही प्रयोग करते थे। इस दिन प्रभात फेरियों का भी अपना ही एक अहसास था। रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम..और बंदे मातरम जैसे भजन और राष्ट्रीय गीत गाए जाते थे। झंडा फहराने के बाद शुरु होता था देश भक्ती गीतों का गायन इसमें सबसे अच्छा गाने वाले को मास्टर जी इनाम के रुप में कलम देते थे। गांव वालों के मौजुदगी में इनाम पाने पर एक अलग ही गर्व की अनुभूती होती थी। इन कार्यक्रमों के खत्म होने के बाद हमें गर्म-गर्म जलेबियों का इंतजार रहता था। बरगद के पतों में गर्म-गर्म जलेबियां ....लिखते हुए मुंह में पानी आ रहा है। इस दिन हर गांव में ऐसा ही माहौल देखने को मिलता था। एक मेला जैसा लग जाता था इस दिन । तो ये था हमारे बचपन का स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस। वहीं दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस एक दिन पहले यानी 14 अगस्त यानी पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के दिन मनाया जाता है। दिल्ली के स्कूलों में इस दिन मास्टर जी अपने भाषण में कहते है कि "आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमारा स्कूल......." मतलब 14 अगस्त को ही हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना कर खुश हो लेते है। अगर 14 अगस्त को कोई छुट्टी पड़ जाती है जैसा की इस बार हुआ, तो हम 13 अगस्त को ही अपना स्वतंत्रता दिवस मना लेते है।सच कहूं तो दिल्ली के स्कूलों में मनाने जाने वाला स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस में वो लगाव, वो बात नज़र नहीं आती। इस वजह से स्कूली बच्चों में वो भावना पैदा नहीं हो पाती। उन्हें पता ही नहीं चल पाता है कि स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस मनाने की कितनी खुशी मिलती है। एक अलग ही अहसास होता है इस दिन का। दिल्ली में ऐसा क्यों होता है? क्या दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्रता दिवस उसी दिन इसलिए नहीं मनाया जाता कि उस दिन केन्द्र सरकार का अपना ही भव्य कार्यक्रम होता है? अगर ऐसा होता है तो यह अच्छी बात नहीं है। मुझे लगता है कि दिल्ली के स्कूल इस दिन दिल्ली की सुरक्षा में बिना कोई बाधा पैदा किये स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस मना सकते है। दिल्ली सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।